शिक्षा केवल ज्ञान का साधन नहीं बल्कि एक समाज में समानता और अवसरों की गारंटी भी है। इसके महत्व को समझते हुए, एलपीएस के संस्थापक एवं महाप्रबन्धक डॉ. एस.पी. सिंह ने राजाजीपुरम क्षेत्र के आर्थिक रूप से कमजोर और शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। उन्होंने अपने निजी संसाधनों से इन बच्चों को निःशुल्क बैग, पुस्तकें और स्टेशनरी वितरित की।
डॉ. एस.पी. सिंह का यह प्रयास केवल सामग्री वितरण तक सीमित नहीं है। यह संदेश देता है कि हर बच्चे को उचित शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है और समाज के सभी वर्गों को इसमें योगदान देना चाहिए। राजाजीपुरम क्षेत्र के बच्चे, जो अक्सर आर्थिक बाधाओं और संसाधनों की कमी के कारण शिक्षा से वंचित रहते हैं, इस पहल के माध्यम से न केवल अध्ययन सामग्री प्राप्त कर रहे हैं बल्कि शिक्षा के प्रति उनकी रुचि और उत्साह भी बढ़ रहा है।
इस वितरण कार्यक्रम के दौरान, बच्चों की खुशी और उत्साह देखते ही बनता था। उनके चेहरे पर किताबें और स्टेशनरी पाकर जो चमक आई, वह इस पहल की सफलता का प्रतीक थी। यह न केवल शिक्षा के प्रति उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है बल्कि उनके माता-पिता और समाज के अन्य लोगों के लिए भी एक प्रेरणा बनता है।
डॉ. एस.पी. सिंह का यह कदम पहले की राजनीतिक गतिविधियों के दौरान किए गए सामाजिक कार्यों का हिस्सा है। राजनीति केवल सत्ता के लिए नहीं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए भी होनी चाहिए—यह सिद्धांत उन्होंने अपने कार्यों में सिद्ध किया है। पिछली राजनीति में, जब उन्होंने विभिन्न सामाजिक और शिक्षा संबंधी योजनाओं को लागू किया, तब भी उनका उद्देश्य समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों को मुख्यधारा में लाना और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना रहा।
इस पहल के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा केवल स्कूलों में पढ़ाई तक सीमित नहीं है। यह बच्चों के जीवन में नए अवसर, आत्मनिर्भरता और बेहतर भविष्य की नींव डालती है। डॉ. एस.पी. सिंह का यह कार्य हमें याद दिलाता है कि व्यक्तिगत प्रयास भी समाज में बड़े बदलाव ला सकते हैं।
भले ही यह एक छोटी सी पहल हो, लेकिन इसका प्रभाव बच्चों के जीवन पर गहरा और दीर्घकालिक होगा। यह पहल अन्य समाजसेवियों और नेताओं के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है कि वे शिक्षा और समाज कल्याण के क्षेत्र में सक्रिय योगदान दें।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि डॉ. एस.पी. सिंह का यह कदम शिक्षा और समाजसेवा के प्रति उनके दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों तक शिक्षा के साधन पहुँचाना केवल एक सामाजिक दायित्व नहीं, बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी भी है। उनके इस प्रयास से न केवल बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा, बल्कि समाज में शिक्षा के महत्व और समान अवसरों की भावना भी प्रबल होगी।